एक बहुत अच्छा मूर्तिकार था। उस से अच्छी और साफ़ मूर्ति कोई नहीं बना सकता था। राजा को पता चला की गाँव में एक बेहतरीन मूर्तिकार है। जो बहुत ही खूबसूरत मूर्ति बनाने में माहिर है। राजा ने उस मूर्तिकार को अपने दरबार में बुलाया और उस मूर्तिकार को अपनी एक फोटो दे कर बोलता है तुझे मेरी मूर्ति बनानी है। ये सुनकर मूर्तिकार बहुत खुश हुआ की उसे राजा की मूर्ति बनाने का अवसर मिला। राजा ने मूर्तिकार से कहा , की तुझे मेरी 100 फुट की मूर्ति बनानी है। इस पर मूर्तिकार राजा से बोलता है की , हे राजन मैं बना तो दूंगा पर इसके लिए मुझे 2 साल का समय लग जायेगा।राजा ने कहा , कोई बात नहीं तुम मुझे समय और दिनांक बता दो। और मुझे ये 2 साल तक तैयार चाहिए। उसके बाद मूर्तिकार पुरे दिल और लगन के साथ राजा की 100 फुट की मूर्ति पर काम करना शुरू कर दिया। सुबह,शाम ,दिन ,रात वो उस पर काम करने लग गया। 2 साल बाद आखिरकार वो दिन आ ही गया जिस दिन का राजा को बेसब्री से इंतज़ार था। राजा ने देखा मूर्तिकार ने बहुत अच्छी मूर्ति बना दी है। राजा बहुत खुश हो गया। राजा ने देखा की मूर्तिकार मूर्ति के ऊपर राजा के बालों वाली जगह कुछ कर रहा है। ऊंचाई ज्यादा थी तो राजा को कुछ समझ में नहीं आया। तो राजा ने मूर्तिकार को नीचे आने के लिए बोलता है की आज मैं बहुत खुश हूँ और आज जो तू बोलेगा वो मैं देने के लिए तैयार हूँ। और तुम जल्दी से नीचे आ जाओ । मैं तुम्हें कुछ देना चाहता हूँ। मूर्तिकार बोलता है की मैं 5 मिनट में नीचे आता हूँ। अब राजा को बुरा लगा की मूर्तिकार मेरे बुलाने पर भी नीचे नहीं आ रहा। 5 मिनट में मूर्तिकार नीचे उतर कर आता है। राजा एक तरफ खड़ा होता है और दूसरी तरफ मूर्तिकार। राजा मूर्तिकार को बोलता है की , तुमने बहुत ही अच्छी और सफाई से मूर्ति बनाई है जैसा मैंने तुम्हारे बारे में जितना सुना था तुम ने उस से भी अच्छा काम किया है। मूर्तिकार राजा को धन्यवाद बोलता है। तो राजा मूर्तिकार से एक और सवाल पूछता है ,की मैं कब से तुझे बुला और रहा था और तुम ऊपर क्या कर रहे थे। तुझे पता नहीं था की राजा तुझे बुला रहा है। की तू फटाफट नीचे आ जा। इस पर मूर्तिकार राजा को बोलता है , की राजा जी आप ने जो मुझे फोटो दी थी। उसमें जो ये 2 बाल थे वो सही जगह पर नहीं थे मैं उन्हें सही जगह सेट कर रहा था। इस पर राजा गुस्से में बोलता है ,पागल 100 की ऊंचाई पर कौन देखने वाला है और वो भी 2 बाल। इस पर मूर्तिकार ने हसंते हुए विनम्रता से कहा ,कोई देखे या ना देखे पर में तो देख रहा था ना।
शिक्षा :- काम चाहे भी हो उसे पुरे दिल से करें। फिर चाहे कोई देखे या न देखे।
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