Wednesday, 12 July 2017

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कृपण का धन

कृपण का धन

एक समय की बात है। एक कृपण अपने धन को बहुत प्यार करता था। वह खर्चा नहीं करता था। उसने अपने धन को सोने में बदल रखा था। वह उस सोने को घर में रखने से डरता था। अपने घर की पिछवाड़े बगीचे में एक गड्ढे में गाड़ कर रखता था। कभी -कभी गड़े हुए सोने को देख कर खुश हो जाता की उसका सोना सुरक्षित  है। एक दिन वह उस गड्ढे को खोदने के लिए अपने घर के पिछवाड़े में जा रहा था ,तब एक चोर ने उसे देख लिया। उसने कृपण को गड्ढा खोदते और सोना निकालते और फिर सोने को दोबारा गड्ढे में गाड़ते देख लिया। कृपण के वापिस लौटने के बाद गड्ढा खोदने की बारी चोर की थी। चोर ने गड्ढा खोदा और सारा सोना ले कर चम्पत हो गया।
अगली बार जब कृपण ने गड्ढा खोदकर देखा और सोने को गायब पाया तब जोर -जोर से रोने लगा। सभी पडोसी और घर वाले वहां एकत्रित हो गए। मगर अब क्या हो सकता था। तब एक बुजुर्ग ने उस इंसान को समझाया , "की वह धन तुम्हारे लिए बेकार था। क्योंकि तुम उपयोग नहीं कर रहे थे। इसीलिए शोक करना व्यर्थ है।

शिक्षा :- पैसों का प्रयोग ही उसका वास्तविक मूल्य है।

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