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Friday, 15 September 2017

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दिल्ली के लिए 2 बजकर 20 मिनट वाली उड़ान


दीपक  मुंबई में था। उसे दिल्ली जाना था ,इसीलिए वह एयरपोर्ट गया और उसने टिकट खरीद लिया। उसकी उड़ान में कुछ मिनटों का समय था इसीलिए वह वहां पर रखी हुई वजन मापने की मशीन की तरफ चला गया। वह मशीन पर चढ़ा ,अंदर एक सिक्का डाला और उस मशीन के अंदर से उसका भाग्यफल निकलकर आया , "आपका नाम दीपक है ,आपका वजन 80 किलो है और आप दिल्ली के लिए 2 बजकर 20  मिनट पर जाने वाली उड़ान पकड़ने वाले है। वह भौंचक्का रह गया क्योंकि सारी सुचना सही थी। उसे लगा की इसमें कुछ तिकड़म है ,इसीलिए वह दोबारा मशीन पर चढ़ा ,दूसरा सिक्का डाला और उसका भाग्यफल निकलकर आया , " आपका नाम अभी भी दीपक है ,आपका वजन अभी अभी 80 किलो है और आप अभी भी दिल्ली के लिए 2 बजकर 20  मिनट पर जाने वाली उड़ान पकड़ने वाले है। " अब वह पहले से और अधिक चकित और परेशान हो गया। यह सोचकर की इसमें कुछ चाल है  वह आदमियों के प्रसाधन कक्ष में गया और उसने अपने कपडे बदल लिए। एक बार फिर वह मशीन पर चढ़ा , उसमें सिक्का डाला और उसका भाग्यफल निकलकर आया , " आपका नाम अभी भी दीपक है ,आपका वजन अभी अभी 80 किलो है , परन्तु आपकी दिल्ली के लिए 2 बजकर 20  मिनट वाली उड़ान अभी -अभी छूटी है। "



 शिक्षा :- व्यर्थ के कामों में अपना समय मत गवाएं।

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Sunday, 20 August 2017

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धनिया की सीख



Save Money
Save Money

धनिया  गाँव की सबसे बड़ी उम्र की महिला थी। लोग उसे सम्मान से दादी माँ कहकर बुलाते थे। धनिया का बेटा रामू एक किसान था। उसके पास खेती -बाड़ी के सभी आधुनिक उपकरण थे। वह ट्रेक्टर से खेती करता था। गाँव वाले उसे उन्नत किसान मानते थे। रामु हर साल जब अपनी फसल बेचकर आता तो बाजार से मिलने वाले सारे पैसे अपनी माँ को थमा देता। माँ उन पैसों  में से कुछ हिस्सा अपने पास बचाकर रखती लेती और बाकी पैसे बेटे को लौटा देती। यह सिलसला बहुत सालों तक चलता रहा। अब धनिया के पास एक बड़ी रकम जमा हो गयी। एक दिन खलियान में  काम करते समय ट्रेक्टर से चिंगारी निकल कर खलिहान में रखी फसल पर जा गिरी। हवा के एक झोंके ने चिंगारी को विकराल आग के रूप  में बदल दिया। देखते ही देखते रामु की फसल राख के ढेर में बदल गयी। रामु बड़ा निराश हुआ और रोता -पीटता हुआ घर आया और सारी बात माँ को कह सुनाई। धनिया ने रामु को दिलासा देते हुए अपने पास पड़ी जमा पूंजी उसके हाथ में थमा दी। माँ से पैसे पा कर रामु की तो जैसे जान में जान आ गयी। उसने दोबारा अपने खेतों में काम शुरू किया। माँ की सूझ बुझ से रामु के सामने कोई कठनाई नहीं आयी। सभी गाँव वाले धनिया की थोड़ी -थोड़ी बचत करने की बात जानकार बहुत खुश हुए। और सब ने भी थोड़ी - थोड़ी बचत करने का संकलप लिया। माँ की अलप बचत ने रामु के उजड़ते हुए कारोबार को जल्दी ही संभाल लिया और उसका घर पहले की भांति एक खुशहाल परिवार बना रहा।

शिक्षा :- थोड़ा -थोड़ा  करके जमा किया हुआ पैसा बुरे वक़्त में काम आता है। 


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Wednesday, 12 July 2017

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कृपण का धन

कृपण का धन

एक समय की बात है। एक कृपण अपने धन को बहुत प्यार करता था। वह खर्चा नहीं करता था। उसने अपने धन को सोने में बदल रखा था। वह उस सोने को घर में रखने से डरता था। अपने घर की पिछवाड़े बगीचे में एक गड्ढे में गाड़ कर रखता था। कभी -कभी गड़े हुए सोने को देख कर खुश हो जाता की उसका सोना सुरक्षित  है। एक दिन वह उस गड्ढे को खोदने के लिए अपने घर के पिछवाड़े में जा रहा था ,तब एक चोर ने उसे देख लिया। उसने कृपण को गड्ढा खोदते और सोना निकालते और फिर सोने को दोबारा गड्ढे में गाड़ते देख लिया। कृपण के वापिस लौटने के बाद गड्ढा खोदने की बारी चोर की थी। चोर ने गड्ढा खोदा और सारा सोना ले कर चम्पत हो गया।
अगली बार जब कृपण ने गड्ढा खोदकर देखा और सोने को गायब पाया तब जोर -जोर से रोने लगा। सभी पडोसी और घर वाले वहां एकत्रित हो गए। मगर अब क्या हो सकता था। तब एक बुजुर्ग ने उस इंसान को समझाया , "की वह धन तुम्हारे लिए बेकार था। क्योंकि तुम उपयोग नहीं कर रहे थे। इसीलिए शोक करना व्यर्थ है।

शिक्षा :- पैसों का प्रयोग ही उसका वास्तविक मूल्य है।

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Friday, 7 July 2017

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Dairy Milk का सफर कैसे शुरू हुआ और सफल कैसे हुए

Sweet, Dairy Milk
Dairy Milk


डेरी मिल्क नंबर वन चॉकलेट ब्रांड है। पुरे संसार में। केडबरी कंपनी 1824 में बर्मिंघम (इंग्लैंड ) की एक छोटी सी दूकान से शुरू हुई थी। कैडबरी के संस्थापक जॉन कैडबरी (1801 -1889 )कभी काउंटर पर बैठ कर ड्रिंकिंग चॉकलेट ,चाये और कॉफ़ी बेचते थे। कैडबरी की सफलता बताती है की हर बड़े पेड की शुरुआत एक छोटे से बीज से होती है। 23 साल के जॉन कैडबरी की ड्रिंकिंग चॉकलेट जब लोकप्रिय होने लगी ,तो सात साल बाद उन्होंने इसे बनाने के लिए एक फैक्ट्री खोल दी। यह कैडबरी कंपनी  की वह छोटी सी बुनियाद थी ,जिस पर आगे चल कर गगनचुम्बी ईमारत खड़ी हुई।
मिल्क चॉकलेट बनाने का विचार जॉन कैडबरी के बेटे जॉर्ज कैडबरी के मन में आया था। उस ज़माने में स्विजरलैंड में बनने वाली मिल्क चॉकलेट इंग्लैंड में काफी लोकप्रिय थी ,लेकिन इंग्लैंड में एक भी अच्छी मिल्क चॉकलेट नहीं बनती थी। जॉर्ज कैडबरी विशेषज्ञों की टीम  मिल्क चॉकलेट बनाने के फॉर्मूले को खोजने में लग गए। कई वर्षों की मेह्नत के बाद 1905 में डेरी मिल्क तैयार हुई। डेरी मिल्क घाना की खास कोको बिन्स से बनतीहै। डेरी मिल्क की और खासियत यह की वह मिल्क पाउडर से नहीं बल्कि ताजे दूध से बनती है। 1913 डेरी मिल्क कंपनी का बेस्ट सलिंग ब्रांड बन गया और आज तक बना हुआ है। इस दौरान फैशन बदले ,मशीनें बदली ,दुनिया बदली लेकिन डेरी मिल्क की रेसपी नहीं बदली , "हर आधा पोंड चॉकलेट में डेढ़ गिलास मलाईदार दूध " आज हर साल 25 करोड़ डेरी मिल्क बिकती है। भारत में भी कैडबरी और इसके नंबर ओने ब्रांड डेरी मिल्क चलता है। आज केडबरी का साम्राज्य 60  से अधिक देशों में फैला है। सबसे बड़ी कैडबरी डेरी मिल्क बार अक्टूबर ,1998  में बनी , जिसका वजन 1 .1  टन  था और ये 9  फुट ऊँची तथा 4 फुट चौड़ी थी। मिल्क चॉकलेट का नाम रखते वक़्त तीन नामों पर विचार हुआ। जर्सी ,हाइलैंड मिल्क और डेरी मेड। अंत : में बाद वाले दो नामों को मिलाकर डेरी मिल्क नाम चुना गया।

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Tuesday, 4 July 2017

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अन्याय और बदला


भँवरे का बदला
भँवरे का बदला
एक बार एक चील एक खरगोश के पीछे पड़ी थी। खरगोश भँवरे के पास भागा। भँवरे ने चील से विनती की वह खरगोश को न पकडे। चील नहीं मानी।, वह शिकार पर झपटी और उसे लेकर उड़ गयी। भँवरे खरगोश की रक्षा न कर स्का।
भँवरे  को गुस्सा आ गया। वह उड़ता हुआ चील के घोंसले में गया और उसके सभी अंडे को एक -एक कर गिरा दिया। अंडे फूट गए। अगले वर्ष भी ऐसा ही हुआ। ऐसा कई वर्षों तक चलता रहा। चील ने देवता से प्रार्थना की कि वे उसके अण्डों गोद में रखे ताकि उसे अंडे सुरक्षित रह सके। देवता ने बात मान ली।
किन्तु भंवरा वहां भी पहुंच गया। देवता के कानों के पास भिनभिनाने लगा। उस भगाने के लिए देवता उठा तभी अंडे गिर और फूट गए। देवता को कारण का पता था , किन्तु चील के अण्डों की सुरक्षा भी आवश्यक थी। तबसे उन्होंने व्यवस्था बनायीं की जिस मौसम में चील के अंडे घोंसले में होंगे ,भंवरा सोया रहेगा। यह आज भी सोया रहता है।

शिक्षा :-कमजोर भी अपने ढंग से बदला लेने में सक्षम है। 




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सफलता के ये महान नियम जो आप को सफल बना दे

Laws of Success
Success
दोस्तों सिर्फ तीन प्रतिशत लोग ही होते है जिनके पास स्पष्ट लिखित लक्ष्य होते है। ये लोग समान योग्यता या बेहतर शिक्षा वाले उन लोगों से पांच -दस गुणा ज्यादा हासिल कर  लेते है । लोग जाने क्यों यह लिखने का वक्त कभी नहीं निकाल पाते की वे दरअसल क्या चाहते है। आज मैं आप को सात आसान कदम बताने जा  हूँ ,अगर आप ये कदम उठ लें तो आप [आपकी सफलता चांस बढ़ सकते है। तो आइये शुरू करते है :-

1)      स्पष्ट रूप से तय कर लें की आप चाहते क्या है :-  आज लोगों का असफलता का सबसे  कारण है किसी को यही स्पष्ट  रूप से नहीं पता की उन्हें ज़िंदगी में करना क्या है। किस दिशा में आगे बढ़ना है और किस दिशा में नहीं। वो बस ज़िंदगी को काटे जा रहे है।  "सफलता की सीढी पर फटाफट चढ़ने से पहले यह पक्का कर लें की यह सही ईमारत से टिकी हो "

2 )    अपने लक्ष्यों को लिखें। कागज पर सोचें :-   लक्ष्यों को लिखकर इसे आप सटीक बना देते है और मूर्त आकर दे देते है। ऐसा कर के आप अपने लक्ष्यों को देख और छू सकते है। जिनसे आप का आत्मविश्वास बढ़ जाता है। दूसरी तरफ अलिखित लक्ष्य  दुविधा ,अस्पस्टता और गलत दिशा की और आप को ले जाता है।

3 )    अपने तय किये गए लक्ष्यों की समयसीमा तय कर लें :-  लक्ष्य की समयसीमा तय नहीं की गयी हो , तो लक्ष्य हासिल करने की कोई जल्दबाजी नहीं होती। ऐसे लक्ष्यों की न तो कोई शुरुआत होती है और न ही कोई अंत। समयसीमा और काम पूरा करने की निश्चित जिम्मेदारी स्वीकार किये बिना आप हमेशा टालमटोल करते रहेंगे। और बहुत काम कोशिश करेंगे।

4 )    उन सभी कामों की सूची बनाएं जो आपके मुताबिक लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आप को करने होंगे :-  जब भी आपके दिमाग में लक्ष्य से संबधित कोई काम आये उसे भी सूची में जोड़ लें। सूची तब  तक बनाते रहें जब तक की वह पूरी न हो जाये। ऐसी सूची ज्यादा बड़े काम या लक्ष्य की स्पष्ट तस्वीर होती है। जिसे हमेशा देख  सकते है। यह इस सम्भवना को काफी हद तक बढ़ा देती है की आप अपना मनचाहा लक्ष्य पा सकते है।

5 )    सूची को योजनाबद्ध रूप दें :-  अच्छी तरह सोच विचार करके यह फैसला करें की आप को कौन सा काम पहले करना है और कौन सा बाद में। एक कागज पर बॉक्स और गोले बना लें ,जिसमें तीरों और लकीरों के जरिये हर काम का बाकि कामों से सम्बन्ध बताया गया हो। परिणाम देखकर आप हैरान हो जाएंगे।

6 )    अपनी योजना पर तत्काल अमल करें :-  कुछ भी करें ,कुछ भी। औसत योजना -जिस पर उत्साह से अमल किया जाये ,उस बेहतरीन योजना से ज्यादा अच्छी होती है ,जिस पर बिलकुल भी अमल नहीं किया जाता। किसी भी प्रकार की सफलता के लिए काम को अमल में लाना बहुत जरूरी है।

7 )   हर दिन कुछ न कुछ करने का संकल्प  करें, जो आपको अपने महत्वपूर्ण लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ाएं :-  अपने लक्ष्य की दिशा में बढ़ते चले जाएं फिर चाहे धीरे धीरे ही क्यों न हो। टालमटोल की आदत को छोड़ कर हर दिन अपने लक्ष्य की दिशा में कदम बढ़ाएं। एक बार जब आप चलना शुरू कर दें तो रुकें नहीं चलते रहे ,बीच में न रुकें। सिर्फ यही अनुशासन ही लक्ष्य हासिल करने की गति को बढ़ा देगा।


Success Tips- ये आदतें अपनाएं आप को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता

 Success Tips in Hindi, -अपनी ज़िंदगी की 100 % जिम्मेदारी लीजिये

दोस्तों आप को मेरी ये पोस्ट कैसी लगी.मुझे पूरी उम्मीद है मेरी ये पोस्ट आप के लिए Helpful होगी.ऐसी और भी अच्छी अच्छी पोस्ट पढ़ने के लिए मेरे ब्लॉग https://successmantralife.blogspot.in/को Like और Share जरूर करें. दोस्तों ताकि मै आप के लिए अच्छी-अच्छी और लाभदायक पोस्ट करता रहूं  
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Wednesday, 28 June 2017

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मूर्तिकार की शिक्षा


मूर्तिकार की शिक्षा


एक बहुत अच्छा मूर्तिकार था। उस से अच्छी और साफ़ मूर्ति कोई नहीं बना सकता था। राजा को पता चला की गाँव में एक बेहतरीन मूर्तिकार है। जो बहुत ही खूबसूरत मूर्ति बनाने में माहिर है। राजा ने उस मूर्तिकार को अपने दरबार में बुलाया और उस मूर्तिकार को अपनी एक फोटो दे कर बोलता है  तुझे मेरी मूर्ति बनानी है। ये सुनकर मूर्तिकार बहुत खुश हुआ की उसे राजा की मूर्ति बनाने का अवसर मिला। राजा ने मूर्तिकार से कहा , की तुझे मेरी 100 फुट की मूर्ति बनानी है। इस पर मूर्तिकार राजा से  बोलता है की , हे राजन मैं  बना तो दूंगा पर इसके लिए मुझे 2 साल का समय लग जायेगा।राजा ने कहा , कोई बात नहीं तुम मुझे समय और दिनांक बता दो। और मुझे ये 2 साल तक तैयार चाहिए। उसके बाद मूर्तिकार पुरे दिल और लगन के साथ राजा की 100 फुट की मूर्ति पर काम करना शुरू कर दिया। सुबह,शाम ,दिन ,रात वो उस पर काम करने लग गया।  2 साल बाद आखिरकार वो दिन आ ही गया जिस दिन का राजा को बेसब्री से इंतज़ार था। राजा ने देखा मूर्तिकार ने बहुत अच्छी मूर्ति बना दी है। राजा बहुत खुश हो गया। राजा ने देखा की मूर्तिकार मूर्ति के ऊपर राजा के बालों वाली जगह कुछ कर रहा है। ऊंचाई ज्यादा थी तो राजा को कुछ समझ में नहीं आया। तो राजा ने मूर्तिकार को नीचे आने के लिए बोलता है की आज मैं बहुत खुश हूँ और आज जो तू बोलेगा वो मैं देने के लिए तैयार हूँ। और तुम जल्दी से नीचे आ जाओ । मैं तुम्हें कुछ देना चाहता हूँ। मूर्तिकार बोलता है की मैं 5  मिनट में नीचे आता हूँ। अब राजा को बुरा लगा की मूर्तिकार मेरे बुलाने पर भी नीचे नहीं आ रहा। 5 मिनट में मूर्तिकार नीचे उतर कर आता है। राजा एक तरफ खड़ा होता है और दूसरी तरफ मूर्तिकार। राजा मूर्तिकार को बोलता है की , तुमने बहुत ही अच्छी और सफाई से मूर्ति बनाई है जैसा मैंने तुम्हारे बारे में  जितना सुना था तुम ने उस से भी अच्छा काम किया है। मूर्तिकार राजा को धन्यवाद बोलता है। तो राजा मूर्तिकार से एक और सवाल पूछता है ,की मैं कब से तुझे बुला और रहा था और तुम ऊपर क्या कर रहे थे। तुझे पता नहीं था की राजा तुझे बुला रहा है। की तू फटाफट नीचे आ जा। इस पर मूर्तिकार राजा को बोलता है , की राजा जी आप ने जो मुझे फोटो दी थी। उसमें जो ये 2 बाल थे वो सही जगह पर नहीं थे मैं उन्हें सही जगह सेट कर रहा था। इस पर राजा गुस्से में बोलता है ,पागल 100 की ऊंचाई  पर कौन देखने वाला है और वो भी 2  बाल।  इस पर मूर्तिकार ने हसंते हुए विनम्रता से कहा ,कोई देखे या ना देखे पर में तो देख रहा था ना।

शिक्षा :- काम चाहे  भी हो उसे पुरे दिल से करें। फिर चाहे कोई देखे या न देखे।  




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