जिस रस्ते पर चलो ,उस पर भरोसा रखो
एक ब्राह्मण युवक 25 वर्ष की उम्र में धर्मशास्त्र की विद्या प्राप्त करने के पश्चात इस सोच में था की वह जीवन में कौन -सा मार्ग पकडे ,जिससे परम लक्ष्य प्राप्त हो। बहुत सोच -विचार करने पर भी जब वह किसी नतीजे पर न पहुंचा स्का तो हारकर एक दिन भरी दोपहर में कबीर साहब के चरणों में जा पहुंचा।
कबीर साहब उस वक़्त अपने काम में व्यस्त थे। युवक ने अपनी समस्या उनके आगे रखी और बोलै, "मैं तय नहीं कर पा रहा हूँ की कौन-सा रास्ता पकड़ूँ। गृहस्थ या सन्यास। मेरी अक्ल काम नहीं कर रही। आप ही बताएं।
कबीर साहब में ब्राह्मण युवक का सवाल तो सुना, मगर कोई जबाव नहीं दिया। वह अपने काम में लगे रहे। युवक ने अपना सवाल फिर दोहराया ,मगर कबीर साहब ने युवक का सवाल फिर अनसुना कर दिया। थोड़ी देर बाद अपनी पत्नी को आवाज़ दी , "देखना ! मेरा ताना साफ़ करने का झब्बा कहाँ है ?"
वह झब्बा ढूंढ़ने लगी। थोड़ी देर तलाश करने पर कबीर साहब की पत्नी माता लोई को झब्बा न मिला तो कबीर साहब ने आवाज़ दी, "अँधेरा है ,चिराग जला कर तलाश करो। "वह चिराग तलाश काने लगी। थोड़ी देर बाद कबीर साहब ने अपनी लड़की और लड़के को बुलाकर हुकम दिया , "तुम भी झब्बा तलाश करो। " वे भी चिराग लेकर झब्बा तलाश करने लगे।
इतने में कबीर साहब ने कहा ,अरे ! झब्बा तो यहाँ मेरे कंधे पर पड़ा है। तुम लोग जाकर अपना -अपना काम करो। "ब्राह्मण युवक ने अब एक बार फिर अपना सवाल दोहराया तो कबीर साहब बोले ,"तुम्हारे सवाल का जवाब तो मैं दे चूका ,तुम समझे नहीं ? "नौजवान ने कहा," नहीं। जरा साफ़ -साफ़ समझने का कष्ट करें। "
कबीर साहब ने कहा ," देखो भाई ,गृहस्थ बनो की तुम्हारे कहने पर घर वाले रात को दिन और दिन को रात मानने को तैयार हों , अन्यथा रोज के झगड़ों का कोई फायदा नहीं। अगर साधु बनना हो तो इतना धैर्य ह्रदय में जरूर होना चाहिए की ख़ुशी -ख़ुशी कोई बीच मुसीबत बर्दाश्त कर सको। रास्ता कोई भी हो ,जीवन में परम लक्ष्य प्राप्त करने के लिए हमारा अपने रस्ते पर भरोसा होना चाहिए ,
Hindi Stories-दूसरों का दुःख मांगने से नहीं मिलता सुख
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