Fake and true mahatma |
सेन नामक एक ठग ने अपने मित्र दीना के साथ मिलकर लोगों को ठगने की योजना बनाई। वह नकली महात्मा बन गया। दीना को उसके बारे में झूठा प्रचार करना था। एक दिन एक छोटे से राज्य में जाकर उन्होंने बरगद के निचे डेरा जमाया। दीना उसकी प्रशंसा में लग गया। लोग स्वस्थ होने के लिए आने लगे। वे अपने साथ उपहार भी लाते। उसकी प्रसिद्धि दूर -दूर तक फ़ैल गयी।
एक दिन राजा और रानी अन्य दरबारियों के साथ वहां आ गए। लोभी ठगों को उन्होंने बहुत कुछ देना चाहा ,किन्तु इन्होने धन की इच्छा नहीं दिखायी। खुश होकर राजा ने अपनी बेटी का ब्याह करने दहेज़ में आधा राज्य देने के लिए कहा। यह एक ऐसी बात थी , जिसकी कल्पना सेन ने नहीं की थी। पहली बार उसने अपने जीवन के बारे में सोचा। उसके मित्र दीना ने प्रस्ताव स्वीकार कर लेने के लिए कहा। मगर सेन बोला , "नकली महात्मा होने पर जब मुझे इतना आदर और धन मिल रहा है ,तब असली महात्मा होने पर क्या मिलेगा ?"
ऐसा कहकर वह असली महात्मा बनने चल दिया।
शिक्षा :- सच्चा महात्मा अंदर से जाग्रत और प्रकाशित होता है।
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