Saturday, 18 March 2017

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inspirational stories in Hindi


                               होंसलों से उड़ान
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दोस्तों आज मैं आप के सामने एक ऐसे शख्स की सच्ची कहानी ले कर आया हूँ जिसने ये साबित कर दिया है कि अगर जिंदगी में कुछ कर गुजरने का पक्का इरादा हो तो इस दुनिया में कुछ भी मुश्किल नही होता है. ऐसा ही एक कारनामा कर दिखाया है उत्तर प्रदेश के जौनपुर   के रहने वाले अक्षांश गुप्ता ने.
J. N.U.के रिसर्च स्कोलर ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से दुनिया के सामने कामयाबी की मिसाल पेश की है. उन्होंने शारीर का 95 प्रतिशत हिस्सा बेकार होने के बाद भी 5 साल की कड़ी मेहनत से रिसर्च वर्क पूरा किया .कुछ दिन पहले खास दीक्षांत समारोह में उन को यूनिवर्सिटी ने P.H.D. की उपाधि से नवाजा. इस डॉक्टर की डिग्री में उनका नाम अक्षांश गुप्ता लिखा है लेकिन कैंपस में सब लोग उन को बँटी दादा के नाम से पुकारते है.
32 साल के बँटी  दादा ने ब्रेन कंप्यूटर इंटरफ़ेस विषय पर थीसिस तैयार की. रिसर्च पूरी करने के लिए वे मलेशिया भी गये. उनके दोस्त बताते है की उनके बँटी दादा के पास असाधारण दिमाग है. बंटी दादा ने बताया कि शारीरिक विकलांग होने के कारण कोई स्कूल उन्हें दाखिला नही दिया जाता था. हमारे देश में शारीरिक रूप से असक्षम लोगों को कमजोर समझा जाता है लेकिन मैंने इन सबसे आगे भड़कर अपने नाम के पहले डॉक्टर लिखवाया.
दोस्तों आज लाखो लोग है जो दिमाग और शारीर से बिलकुल फिट होने के बावजूद भी ज़िंदगी में कुछ नही कर पाते. चाहता तो अक्षांश गुप्ता भी अपनी विकलांगता का रोना ले कर बैठ सकता था.अपनी पूरी जिंदगी इस सोच में गुजार सकता था की मै तो विकलांग हूँ मैं कुछ नही कर सकता. लेकिन हमारे बँटी दादा ने ऐसा कारनामा कर दिखाया जो शायद आज शारीर से फिट लोग भी नही कर पाते. क्योंकि उन को खुद पर विश्वास नही होता है. अक्षांश गुप्ता जी आप को मेरा दिल से सलाम.



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