ध्यान का असर
लकड़ी पर नक्काशी के काम करने वाले सोहन नामक व्यक्ति ने घन्टे के एक चौखट पर अपनी नक्काशी का काम पूरा किया. जिसने भी वह काम देखा, वह हैरत में पड़े बगैर न रह सका.क्योंकि ऐसा लगता कि
इतना सुंदर काम किसी देवदूत द्वारा ही किया जा सकता है. जब शहर के एक जिमींदार ने उसे देखा तो ,उसने उस से पूछा, "तुममें यह कैसी दैवी प्रतिभा है कि तुम इतनी सुन्दर चीज़ बना सके.?
सोहन ने जवाब दिया, महाशय, मैं तो केवल एक साधारण कारीगर हूँ. मुझ में कोई
दैवी प्रतिभा तो नही, पर एक खास बात यह है की घंटे की चौखट बनाने के पहले मैं अपना मन शांत करने को ध्यान लगाता हूँ. जब मैं तीन दिनों तक
ध्यान कर लेता हूँ, तो फिर किसी भी पुरस्कार अथवा धन हासिल करने का विचार मेरे मन से निकल जाता है.जब मेरे ध्यान के पांच दिन हो जाते है, तो
तारीफ या शिकायत, कारीगिरी अथवा भोंडेपन का ख्याल भी दिल से निकल जाता है.और जब मैं सात दिनों तक ध्यान कर लेता हूँ,तब तो यहाँ तक कि मैं अंग,अपना जिस्म ही नहीं,बल्कि खुद को भी भुला देता हूँ. मुझे दरबार और आसपास की किसी भी चीज़ का ध्यान नही रहता,बस मेरी कला शेष रह
जाती है.उसी अवश्था में मैं जंगल में निकल पड़ता हूँ.और एक-एक पेड पर गौर करते हुए अंत में वह पेड प् लेता हूँ,जिसमें मैं घंटे के चौखट की सम्पूर्ण छवि देख लेता हूँ.और तब मेरे हाथ अपने आप काम शुरू करते है."और उस समय में मेरे माध्यम से कुदरत का कुदरत से मिलान होता है.और यही वजह
है लोग इन चौखटों को किसी देवदूत द्वारा बनाया गया बोलते है.
सोहन एक कर्मयोगी था.जब भी हम कोई काम इज्जत,शोहरत,दौलत अथवा पुरस्कार की
चिंता किये बिना करते है तो उस समय हम बेहतरीन व् अद्भुत काम कर जाते है.
प्रोत्साहन के शब्दों का गहरा असर -Inspiration Stories -प्रेरक कहानियाँ,
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