Friday 21 April 2017

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Motivational Stories

विल्मा रुडोल्फ की कहानी
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विल्मा रुडोल्फ का जन्म टेनससी के एक गरीब परिवार में हुआ था. चार साल की उम्र में उसे डबल निमोनिया और काला बुखार ने उसे गंभीर रूप से बीमार कर दिया. इनकी वजह से उसे पोलियो हो गया.वह पैरों को सहारा देने क लिए ब्रेस पहना करती थी.डॉक्टरों ने तो यहाँ तक कह दिया था की वो अब ज़िंदगी भर नहीं चल पायेगी लेकिन विल्मा की मां ने उसकी हिम्मत बढ़ाई और कहा की ईश्वर की दी हुई क्षमता,मेहनत और लगन से वह जो चाहे कर सकती है. यह सुन कर विल्मा ने कहा कि वह इस दुनिया की सबसे तेज धाविका बनना चाहती है. 9 साल की उम्र में डॉक्टरों के मना करने के बावजूद विल्मा ने ब्रेस के बिना पहला कदम उठाया, जबकि डॉक्टरों ने कहा था की वो कभी चल नहीं पायेगी.13 साल की होने पर उसने अपनी पहली दौड प्रतियोगता में हिस्सा लिया और सबसे पीछे रही.उसके बाद वह दूसरी,तीसरी,चोथी दौड प्रतियोगताओं में हिस्सा लेती रही और हमेशा आखरी स्थान पर आती रही.वह तब तक कोशिश करती रही जब तक की वह दौड प्रतियोगता में पहले स्थान पर नही आ गयी, 15 साल की उम्र में विल्मा टेनेसी स्टेट यूनिवर्सिटी गयी,जहाँ वह ऐड टेम्पल नाम के कोच से मिली.विल्मा ने उन्हें अपना सपना बताया कि "मैं दुनिया की सबसे तेज धाविका बनना चाहती हूँ" . तब टेम्पल ने कहा, "तुम्हारी ऐसी इच्छाशक्ति की वजह से तुम्हें कोई नहीं रोक सकता और साथ में मैं तुम्हारी मदद करूंगा." आखिर वह दिन आया जब विल्मा ने ओलपिंक में हिस्सा लिया.ओलपिंक में दुनिया के बेहतरीन खिलाडियों से मुकाबला होता है. विल्मा का मुकाबला जुत्ता हेन से था, जिसे कोई भी नहीं हरा पाया था.पहली दौड 100 मीटर की थी जिसमें विल्मा ने जुत्ता को हराकर अपना पहला गोल्ड मेडल जीता.दूसरी दौड 200 मीटर की थी,इसमें विल्मा ने जुत्ता को दूसरी बार हराया और उसे दूसरा गोल्ड मैडल मिला.तीसरी दौड 400 मीटर की रिले दौड रेस थी और विल्मा का मुकाबला एक बार फिर से जुत्ता से ही था.रिले में रेस का आखिरी हिस्सा टीम का सबसे तेज एथलीट ही दोड़ता है .इसलिए विल्मा और जुत्ता को अपनी अपनी टीमों के लिए दौड के आखरी हिस्से में दोड़ना था.विल्मा की टीम के तीन लोग रिले रेस के शुरूआती तीन हिस्सों में दौड़े और आसानी से बेटन बदली.जब विल्मा की बारी आई तो उसके हाथ से बेटन ही छूट गयी,लेकिन विल्मा ने देख लिया की दूसरी तरफ़ से जुत्ता हें तेजी से दोड़ती चली आ रही है.विल्मा ने गिरी हुई बेटन उठाई और जुत्ता को तीसरी बार भी हराया और अपना तीसरा गोल्ड मैडल जीता.यह बात इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गयी की एक लकवाग्रस्त महिला 1960 के ओलम्पिक में दुनिया की सबसे तेज धावक बन गयी. 
दोस्तों, विल्मा से हमें क्या सीखना चाहिए ? इससे हमें यह शिक्षा मिलती मिलती है कि कामयाब लोग कठिनाइयों के बावजूद सफलता हासिल करते है न कि तब,जब कठिनाइयाँ नहीं होती.
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