मुझे यकीन था की तुम जरुर आओगे
बचपन के दो ऐसे दोस्त थे जो स्कूल, कॉलेज और यहाँ तक की फौज में भी साथ ही भर्ती हुए. युद्ध छिड़ गया और दोनों एक ही यूनिट में थे, एक रात उन पर हमला हुआ. चारों तरफ़ से गोलियाँ बरस रही थी. ऐसे में अँधेरे से एक आवाज आई, "हैरी, इधर आओ, मेरी मदद करो." हैरी ने अपने बचपन के दोस्त बिल की आवाज़ फ़ौरन पहचान ली.उसने अपने कैप्टन से पूछा' "क्या मैं जा सकता हूँ.?" कैप्टन ने जवाब दिया. "नहीं' मैं तुम्हें जाने की इजाजत नहीं दे सकता. मेरे पास पहले से ही आदमी कम है, मैं अपने एक और साथी को नहीं खोना चाहता. साथ ही बिल की आवाज़ से भी ऐसा लग रहा था की वो नही बचेगा." हैरी चुप रहा.फिर आवाज़ आयी, "हैरी आओ मेरी मदद करो." हैरी चुप बैठा रहा क्योंकि कैप्टन ने उसे जाने की इजाजत नहीं दी थी.वही आवाज़ बार-बार आयी.हैरी अपने को और नहीं रोक सका और उसने कैप्टन से कहा,"कॅप्टन, वह मेरे बचपन का दोस्त है,मुझे उसकी मदद के लिए जाना होगा." कैप्टन ने बेमन से उसे जाने की इजाजत दे दी. हैरी अँधेरे में रेंगता हुआ आगे बढ़ा और बिल को खींचकर अपने गड्ढे में ले आया.उन लोगों ने पाया कि बिल तो मर चूका है.अब कैप्टन बिल पर चिल्लाया, "मैंने कहा था न कि वह नहीं बचेगा, वह मर गया और तुम भी मरे जाते,मैं अपना एक और आदमी खो बैठता,तुमने वहाँ जा कर गलती की थी." हैरी ने जवाब दिया, कैप्टन , मैंने जो किया था, वह सही किया था. जब मैं बिल के पास पहुँचा तो वह जिंदा था और उसके आखरी शब्द थे "हैरी, मुझे यकीन था तुम जरुर आओगे."
दोस्तों अच्छे रिश्ते बड़ी मुश्किल से बनते है और एक बार जब बन जाये तो उन्हें निभाना चाहिए.
ऐसे और भी अच्छे- अच्छे आर्टिकल और कहानियां पढ़ने के लिए मेरे ब्लॉग
https://successmantralife.blogspot.in/को LIKE और SHARE जरूर करें दोस्तों.
0 comments:
Post a Comment