आस्था की ताकत है अद्धभुत
एक गाँव में एक साल बरसात नहीं हुई। बिना बरसात के लोग तड़पने लगे। अकाल जैसी स्तिथि पैदा हो गयी। गाँव में एक साधु महाराज थे ,जिन पर गाँव वालों को पूरा भरोसा था। बेहाल गाँव वाले लोग साधु महाराज के पास गए और कोई उपाए सुझाने की प्रार्थना करने लगे। साधु महाराज ने उनकी बात तो मान ली लेकिन सब से एक सवाल पूछा ,क्या आप सब ईश्वर में विश्वास करते है ?" सबने 'हाँ ' कहा। तब साधु महाराज ने कहा ,"हम सब मिलकर इस आने वाले गुरूवार को बरसात के लिए प्रार्थना करेंगे। और कहा आप सब के मन में इस बात की तो पूरी आस्था है न की ईश्वर हमारी प्रार्थना जरूर सुनेंगे। " सबने 'हाँ ' कहा तो वह बोले, "आप सब इस गुरूवार को गाँव के बड़े मंदिर में आइये। " गुरूवार को सभी लोग मंदिर में उपस्थित हो गए। काफी देर तक सब ने मिलकर ईश्वर की प्रार्थना की। काफी समय बीत गया पर बरसात नहीं हुई। सब लोग बेचैन हो गए। वे साधु महाराज के पास आये और अपनी अपनी चिंता बताई। उन्होंने सभी गाँव वालों से पूछा ,"मंदिर आते समय आपमें से कितने लोग छाता साथ ले कर आये है ,वे अपना हाथ ऊपर उठाएं। " किसी का भी हाथ ऊपर नहीं उठा। यह देख कर साधु महाराज ने कहा ,आपके मन में यहाँ आते समय यह आस्था होती की प्रार्थना करने पर ईश्वर की कृपा होगी और बरसात अवश्य होगी तो मंदिर आते समय आप साथ में छाता जरूर ले कर आते। जब मन में ही आस्था नहीं होगी तो फल कैसे मिलेगा । " सभी गाँव वालों की गर्दन झुक गयी। उन्हें अपनी गलती का एहसास हो गया।
एक गाँव में एक साल बरसात नहीं हुई। बिना बरसात के लोग तड़पने लगे। अकाल जैसी स्तिथि पैदा हो गयी। गाँव में एक साधु महाराज थे ,जिन पर गाँव वालों को पूरा भरोसा था। बेहाल गाँव वाले लोग साधु महाराज के पास गए और कोई उपाए सुझाने की प्रार्थना करने लगे। साधु महाराज ने उनकी बात तो मान ली लेकिन सब से एक सवाल पूछा ,क्या आप सब ईश्वर में विश्वास करते है ?" सबने 'हाँ ' कहा। तब साधु महाराज ने कहा ,"हम सब मिलकर इस आने वाले गुरूवार को बरसात के लिए प्रार्थना करेंगे। और कहा आप सब के मन में इस बात की तो पूरी आस्था है न की ईश्वर हमारी प्रार्थना जरूर सुनेंगे। " सबने 'हाँ ' कहा तो वह बोले, "आप सब इस गुरूवार को गाँव के बड़े मंदिर में आइये। " गुरूवार को सभी लोग मंदिर में उपस्थित हो गए। काफी देर तक सब ने मिलकर ईश्वर की प्रार्थना की। काफी समय बीत गया पर बरसात नहीं हुई। सब लोग बेचैन हो गए। वे साधु महाराज के पास आये और अपनी अपनी चिंता बताई। उन्होंने सभी गाँव वालों से पूछा ,"मंदिर आते समय आपमें से कितने लोग छाता साथ ले कर आये है ,वे अपना हाथ ऊपर उठाएं। " किसी का भी हाथ ऊपर नहीं उठा। यह देख कर साधु महाराज ने कहा ,आपके मन में यहाँ आते समय यह आस्था होती की प्रार्थना करने पर ईश्वर की कृपा होगी और बरसात अवश्य होगी तो मंदिर आते समय आप साथ में छाता जरूर ले कर आते। जब मन में ही आस्था नहीं होगी तो फल कैसे मिलेगा । " सभी गाँव वालों की गर्दन झुक गयी। उन्हें अपनी गलती का एहसास हो गया।
( hindi Stories- शिक्षाप्रद कहानी- तस्वीर दे गयी चित्रकार को सीख)
दोस्तों ,हमारे मन का विश्वास ही हमें सही परिणाम देता है। मन के दो हिस्से होते है चेतन मन और अवचेतन मन। अगर हम चेतन मन यानि बाहरी मन से प्रार्थना करते है तो हमारी प्रार्थना सफल नहीं होती है। और जब अवचेतन मन में अपनी प्रार्थना को पहुंचा देते है तो हमारी प्रार्थना सफल हो जाती है।
दोस्तों ,हमारे मन का विश्वास ही हमें सही परिणाम देता है। मन के दो हिस्से होते है चेतन मन और अवचेतन मन। अगर हम चेतन मन यानि बाहरी मन से प्रार्थना करते है तो हमारी प्रार्थना सफल नहीं होती है। और जब अवचेतन मन में अपनी प्रार्थना को पहुंचा देते है तो हमारी प्रार्थना सफल हो जाती है।
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