माता -पिता के लिए एक कड़वा सच
bitter truth |
अपने बेटे को झूठ बोलते सुनकर एक माँ बहुत दुखी हुई। क्योंकि बच्चा बात बात में झूठ बोलने लग गया था। उसे प्यार से समझाने के लिए एक तरफ ले जाकर उसने विस्तार से यह बताया की झूठ बोलने वालों का क्या होता है।
"एक लम्बा ,काला और लाल-लाल आँखों वाला आदमी ,जिसके दो नुकीले सींग होते है ,झूठ बोलने वाले बच्चों को रात में पकड़कर उन्हें मंगल ग्रह पर ले जाता है , जहाँ उन्हें एक अँधेरी घाटी में पचास सालों तक काम में जुटे रहना पड़ता है। "
अंत में उसने कहा ," अब बोलो ,क्या तुम फिर कभी झूठ बोलोगे ?"
"नहीं ,माँ ", बेटे ने गम्भीरता से जवाब दिया।
"लेकिन तुम मुझ से ज्यादा झूठ बोलती हो माँ। "
बच्चे बड़ों से ही झूठ बोलना सीखते है। उन्हें यह कहने से काम नहीं चलेगा की " मेरे कहने को मानो ,मैं चाहे जो भी करूं। "
दोस्तों , हमारे बच्चे हमें ही देख कर बड़े होते है और जो हम बोलते ,करते है उनको देख कर ही सीखते है। पर हम कभी ये नहीं समझ पाते की हमारे बोलने ,कुछ करने का हमारे बच्चों पर क्या असर पड़ेगा। मोबाइल पर कोई कॉल आता है और हम आराम कर रहे हो और जब दूसरी तरफ से कोई पूछता है की कहाँ हो तो अक्सर हमारे बड़े या हम खुद भी झूठ बोल देता है की मैं तो कहीं बाहर हूँ या कोई काम कर रहा हूँ। हम वो झूठ बोल कर संतुष्ट तो हो लेकिन उस समय अगर हमारा बच्चा पास बैठा है तो वो भी ये यही नक़ल करना सीखता है। और उसे झूठ बोलना आसान लगता है और वो भी आदत अपना लेते है और मान लेते है झूठ बोलना अच्छा होता है। अगर हम बच्चों को सच बोलने के लिए बोलते है तो पहले खुद उनके सामने सच बोलने की आदत डालो।अगर हम बच्चों को सुबह जल्दी उठने ,एक्सरसाइज करने ,जंक फ़ूड न खाना और भी बहुत सारी बातें जो हम बच्चों को सीखना चाहते है तो पहले ये सब खुद करना सीखें और फिर अपने बच्चों को वो आदत डालने के लिए बोलें। हवा में बातें मत बनाएं। केवल वही उपदेश करें ,जिस पर आप खुद चलते हैं क्योंकि बच्चा आप से सीखता है।
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