Monday 22 May 2017

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प्रोत्साहन के शब्दों का गहरा असर -Inspiration Stories -प्रेरक कहानियाँ,

                             प्रोत्साहन के शब्दों का गहरा असर 

प्रोत्साहन के शब्दों का गहरा असर
         प्रोत्साहन के शब्दों का गहरा असर
एक बच्चे के रूप में वाल्टर स्कॉट को मंदबुद्धि माना जाता था। स्कूल की कक्षा में उनकी जगह एक कोने में होती। वहां कागज की एक ऊँची तिकोनी टोपी पहने वह बैठे रहते।
विख्यात कवि रॉबर्ट बर्न्स  किसी  सिलसिले में एक बार वाल्टर के घर गए। वहां एक चित्र के नीचे लिखे एक दोहे ने उनका ध्यान खींच लिया।
बर्न्स  को वह दोहा भा गया और वे पूछ बैठे की इसे किसने लिखा है ?
किसी को भी यह पता न था। अंत में वाल्टर स्कॉट सकुचते हुए उठे और उन्होंने धीमे से उस कविता की बाकि पंक्तियाँ सुना दी। बालक के सर पर अपने हाथ रख बर्न्स  बोल उठे  ......
"तुम किसी दिन स्कॉटलेंड  के एक महान व्यक्ति बनोगे। "
रॉबर्ट बर्न्स के प्रोत्साहन शब्दों ने वाल्टर स्कॉट को स्कॉटलैंड के महानतम कवियों में अपना स्थान सुरक्षित करने को प्रेरित कर दिया।

दोस्तों, हम पढ़ने -लिखने में बच्चों के प्रदर्शन के आधार  पर उनकी प्रतिभा को कमतर मान लेते है। जबकि तथ्य तो यह है की स्कूल और कॉलेज में बच्चों के द्वारा हासिल किये गए अंक और ग्रेड उनके भविष्य का संकेत कतई नहीं कर सकते। हम हमेशा  अपने बच्चों को उनके स्कूल में पढाई मैं अच्छा है या बुरा है के आधार पर ये मान लेते है हमारा बच्चा अगर पढ़ नहीं सकेगा तो ज़िंदगी में कुछ नहीं कर सकेगा। इतिहास गवाह है की जो लोग पढाई में बिलकुल बेकार थे उन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर दुनिया को बदल कर रख दिया। हेनरी फोर्ड,थॉमस अल्वा एडिसन जैसे और भी महान लोगों ने ये साबित किया है की जरूरी नहीं की अगर  पढाई में कमजोर है तो वो कुछ कर नहीं सकते है। हमें चाहिए की हम अपने बच्चों को नकरात्मक शब्द न बोलें। जिनसे उनका मनोबल टूट जाये और वो भी ये मान लें की अगर हम पढाई नहीं कर सके तो कुछ भी न कर सकेंगे। हमें चाहिए की हम अपने बच्चों की प्रतिभा को देखें की उनमें  ऐसा क्या जो बहुत खुश हो कर करते है। हमें बच्चों पर कभी भी अपने सपनों के बौछारें न करें बल्कि ये देखें की उनको क्या  अच्छा लगता है। अगर हम अपने बच्चों को सकरात्मक प्रोत्साहन देंगे तो बच्चों को ये प्रोत्साहन उनकी ज़िंदगी बदलने में सहायक होते है। क्योंकि जरूरी नहीं है की सिर्फ पढाई में अच्छा होना ही सफलता पाने की निशानी होती है। इस दुनिया में ऐसे पढ़े लिखे अनपढ़ भी है जो पढाई में तो टॉप कर गए पर असल ज़िंदगी में कभी अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाए। मैं ये नहीं बोल रहा की पढाई जरूरी नहीं है। पढाई बहुत जरूरी है मैं सिर्फ ये बोल रहा की बच्चों पर कभी पढाई को लेकर नकरात्मक शब्द जैसे :- तुम नालायक हो ,तुम कभी कुछ नहीं कर पाओगे ,तुम से अच्छा फलां का लड़का /लड़की है, तुम पढाई में बिलकुल जीरो हो ,तुम बुद्धू हो। क्योंकि ये शब्द बच्चों में नकरात्मकता पैदा करते है और वे भी मान लेते है की अगर हमारे माता -पिता ये बोल रहे है तो वे सच ही बोल रहे है। और फिर वे अपनी पूरी ज़िंदगी नकरात्मकता ,गरीबी ,दुखों में गुजार देते है।
तो दोस्तों ,बच्चों की उचित तारीफ करें और उनका साथ दें। और उन्हें प्रेरित करें।

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