केवल वही उपदेश करें ,जिस पर आप खुद चलते हैं
एक छोटी बच्ची को मिठाई बहुत पसंद थी। उसकी माँ ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की ,किन्तु उसका कुछ भी असर न हो पा रहा था। अंत में वह उसे इस उम्मीद में गाँव के एक समझदार बुजुर्ग के पास ले गयी की शायद उस पर उनके कहने का कोई असर हो जाये।
बुजुर्ग ने उनकी बात सुनकर उसे तीन सप्ताह बाद अपने पास लाने को कहा। जब वे दोनों माँ -बेटी तीन सप्ताह बाद उनके पास पहुंचे ,तो बुजुर्ग ने उसे कहा की वह बहुत ज्यादा मीठा ना खाये करे और यह बताया की उससे उसके स्वास्थ्य को क्या - क्या नुकसान हो सकता है। माँ ने समझदार बुजुर्ग से पूछा , "आप इसे यह सलाह तीन सप्ताह पहले तब भी दे सकते थे ,जब हम पहली बार आपके पास आये थे। फिर आपने तीन सप्ताह बाद आने को क्यों कहा ?" समझदार बुजुर्ग ने जबाव दिया ,"तीन सप्ताह पहले तक मैं खुद ही ज्यादा मीठा खाने का आदी था। "
उन तीन सप्ताह के दौरान बुजुर्ग ने खुद मीठा खाना कम किया। जब उन्होंने स्वयं इसे कर लिया , तभी दूसरों को उपदेश देना ठीक समझा।
दोस्तों, किसी भी उपदेश का असर तभी है ,जब उपदेशक खुद ही उस पर चलता हो। मैंने काफी बार यूट्यूब पर भी Videos देखी जिसमें खुद एक मोटा इंसान पतला होने के टिप्स बताता है। लोग भी उनकी Video को Likes करते है जबकि जो इंसान खुद ही मोटा है वो भला दूसरों को पतला कैसे हुआ जाता है बता सकता है।
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